सन् 1943 में दीवाली के दिन पूज्य श्री गुरुजी हैदराबाद (सिंध) के एक कार्यक्रम में उपस्थित थे। वहाँ के कार्यकर्ताओं ने उन्हें पुष्पमाला पहनाना चाहा जिसपर श्री गुरुजी ने कहा, ''यह पुष्प माला किसलिए? इसकी आज हमें आवश्यकता नहीं। हम तो भारत माता की पूजा करने चले हैं। माता को हमारा समर्पण चाहिए। उसके लिए हम तैयार हों।''